किडनी खराब होने के 7 शुरुआती लक्षण – ये संकेत कभी नज़रअंदाज़ न करें!

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7 Warning Signs Of Kidney Problem

किडनी हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। यह खून को छानकर विषाक्त पदार्थों और अतिरिक्त पानी को शरीर से बाहर निकालती है। जब किडनी ठीक से काम नहीं करती, तो ये विषाक्त पदार्थ शरीर में जमा होने लगते हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। भारत में हर 10 में से लगभग 1 व्यक्ति किडनी रोग से पीड़ित है। इसके बावजूद, अधिकांश लोग शुरुआती चरण में लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं। इसलिए इन संकेतों को पहचानना बहुत जरूरी है।

किडनी रोग अक्सर धीरे-धीरे विकसित होता है और शुरुआती चरण में कोई लक्षण नहीं दिखते। इसे “चुपचाप चलने वाली बीमारी” भी कहा जाता है। लेकिन जब लक्षण दिखते हैं, तो ये शरीर की चेतावनी होती है। इन्हें नजरअंदाज करने से बचाव के अवसर खो जाते हैं। समय रहते इलाज से डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण जैसी गंभीर स्थिति से बचा जा सकता है।

किडनी रोग के लक्षण

किडनी के काम न करने के कई संकेत होते हैं। ये लक्षण अक्सर अन्य बीमारियों के लक्षणों से मिलते-जुलते होते हैं, इसलिए इन्हें गलत समझा जा सकता है। लेकिन अगर ये लगातार बने रहें, तो डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। ये संकेत शरीर को विषाक्त पदार्थों से बचाने के लिए लड़ने की कोशिश कर रहा है।

  • पेशाब में झाग या खून आना
  • अत्यधिक थकान और कमजोरी महसूस होना
  • शरीर में सूजन (चेहरे, पैरों और हाथों में)
  • भूख में कमी और वजन घटना
  • उल्टी या मतली आना
  • बार-बार पेशाब आना, खासकर रात में
  • त्वचा पर खुजली या सूखापन

किडनी रोग के बारे में जानकारी

किडनी रोग के बारे में जानना जरूरी है ताकि इसके खतरे को समझा जा सके। यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है और अंत में डायलिसिस या प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ सकती है। इसके कारण अक्सर मधुमेह और उच्च रक्तचाप होते हैं। इन्हें नियंत्रित करने से जोखिम कम होता है।

विवरणजानकारी
रोग का नामकिडनी रोग (Kidney Disease)
प्रकारक्रॉनिक किडनी डिजीज, एक्यूट किडनी फेलियर
मुख्य कारणमधुमेह, उच्च रक्तचाप, किडनी स्टोन
जोखिम वाले लोग40+ आयु, मधुमेह या उच्च रक्तचाप वाले
जांच के तरीकेब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट, अल्ट्रासाउंड
उपचारदवाएं, डायलिसिस, किडनी प्रत्यारोपण
रोकथामसंतुलित आहार, पानी पीना, नियमित जांच
सरकारी योजनाआयुष्मान भारत में कवरेज उपलब्ध

किडनी रोग के कारण

किडनी रोग के कई कारण होते हैं। इनमें से कुछ बदले जा सकते हैं, जबकि कुछ आनुवांशिक होते हैं। मधुमेह और उच्च रक्तचाप सबसे बड़े कारण हैं। ये दोनों किडनी की छोटी नसों को नुकसान पहुंचाते हैं। अगर इन्हें नियंत्रित नहीं किया जाए, तो किडनी की कार्यक्षमता धीरे-धीरे घटती है।

  • मधुमेह (Diabetes) – लंबे समय तक उच्च शुगर स्तर किडनी को नुकसान पहुंचाता है।
  • उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) – यह किडनी की रक्त वाहिकाओं को कमजोर करता है।
  • किडनी स्टोन – पथरी किडनी के रास्ते को ब्लॉक कर सकती है।
  • यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) – संक्रमण किडनी तक फैल सकता है।
  • अत्यधिक दवाओं का सेवन – कुछ दर्द निवारक दवाएं किडनी को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
  • पानी की कमी – कम पानी पीने से विषाक्त पदार्थ जमा होते हैं।
  • मोटापा – अधिक वजन किडनी पर अतिरिक्त दबाव डालता है।

जांच और उपचार

किडनी रोग की जांच आसान है। ब्लड टेस्ट में क्रिएटिनिन और यूरिया का स्तर देखा जाता है। यूरिन टेस्ट में प्रोटीन या खून की जांच होती है। अल्ट्रासाउंड से किडनी का आकार और स्थिति पता चलती है। बायोप्सी में टिशू की जांच की जाती है। उपचार रोग की गंभीरता पर निर्भर करता है।

शुरुआती चरण में दवाएं और जीवनशैली बदलकर रोग को रोका जा सकता है। गंभीर स्थिति में डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है। आयुष्मान भारत योजना के तहत डायलिसिस और प्रत्यारोपण का इलाज निःशुल्क या कम लागत पर उपलब्ध है। इससे गरीब मरीजों को बड़ी राहत मिलती है।

रोकथाम के उपाय

किडनी रोग से बचना संभव है। इसके लिए जीवनशैली में बदलाव जरूरी है। रोजाना 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए। संतुलित आहार लेना चाहिए, जिसमें फल, सब्जियां और कम नमक हो। नियमित व्यायाम से वजन नियंत्रित रहता है। धूम्रपान और शराब से बचना चाहिए।

  • रोजाना 8-10 गिलास पानी पिएं।
  • फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाएं।
  • नमक और प्रोसेस्ड फूड कम खाएं।
  • नियमित व्यायाम करें।
  • ब्लड प्रेशर और शुगर को नियंत्रित रखें।
  • डॉक्टर की सलाह के बिना दवाएं न लें।
  • हर साल किडनी की जांच कराएं।

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