नई जीएसटी दरें लागू हो गई हैं, लेकिन आम उपभोक्ताओं को अभी तक ज्यादातर जगहों पर सस्ता सामान नहीं मिल रहा है। अक्टूबर 2025 के शुरुआती हफ्तों में भी लोगों की शिकायतें आ रही हैं कि बाजार में चीजें सस्ती नहीं हुई हैं। इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे कंपनियों द्वारा बेस प्राइस बढ़ाना या डिस्ट्रीब्यूटर्स द्वारा नई दरों को लागू न करना। सरकार ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है और 800 से अधिक ब्रांड्स को नोटिस भेजे हैं। यह योजना वास्तविक है और आधिकारिक सरकारी स्रोतों से पुष्ट है। हालांकि, इसके लाभ का असली फायदा अभी तक जमीन पर नहीं दिख रहा है।
नए जीएसटी दरों का ओवरव्यू
नए जीएसटी दरों के तहत अब देश में केवल दो मुख्य कर स्लैब हैं: 5% और 18%। पहले के 12% और 28% के स्लैब को हटा दिया गया है। इसके अलावा, पान मसाला, तंबाकू और लग्जरी कारों जैसी चीजों पर 40% का नया स्लैब लागू किया गया है। यह बदलाव 22 सितंबर 2025 से लागू हुआ है। इसका मुख्य उद्देश्य आम आदमी को राहत देना और रोजमर्रा की जरूरी चीजों को सस्ता बनाना है।
विवरण | जानकारी |
योजना का नाम | नेक्स्टजेन जीएसटी (NextGenGST) |
लागू होने की तारीख | 22 सितंबर 2025 |
मुख्य कर स्लैब | 5% और 18% |
नया स्लैब | 40% (लक्जरी और सिन गुड्स के लिए) |
लाभार्थी | आम उपभोक्ता, किसान, एमएसएमई |
जीएसटी बचत उत्सव | प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई पहल |
छूट प्राप्त वस्तुएं | ब्रेड, रोटी, पराठा, खाखरा |
जीएसटी परिषद बैठक | 56वीं बैठक, दिल्ली |
नए जीएसटी दरों के फायदे
नए जीएसटी दरों से आम आदमी को कई तरह के फायदे मिलने वाले हैं। रोजमर्रा की जरूरी चीजों पर टैक्स कम होने से उनकी कीमतें घटेंगी। इससे परिवारों की बचत बढ़ेगी और उनकी खरीदारी की शक्ति मजबूत होगी। इसके अलावा, छोटे व्यापारियों और एमएसएमई को भी फायदा होगा क्योंकि अनुपालन लागत कम होगी।
- घरेलू सामान जैसे साबुन, शैंपू, टूथपेस्ट पर जीएसटी दर 18% से घटाकर 5% कर दी गई है।
- किसानों के लिए ट्रैक्टर, ड्रिप इरिगेशन सिस्टम और बायो-कीटनाशक पर जीएसटी दर 12% से घटाकर 5% कर दी गई है।
- छात्रों के लिए पेंसिल, रबर, अभ्यास पुस्तिकाएं और नोटबुक पर जीएसटी दर शून्य कर दी गई है।
- चिकित्सा क्षेत्र में थर्मामीटर, ग्लूकोमीटर और डायग्नोस्टिक किट्स पर जीएसटी दर 12% से घटाकर 5% कर दी गई है।
- वाहन क्षेत्र में छोटी कारों, मोटरसाइकिल और सीमेंट पर जीएसटी दर 28% से घटाकर 18% कर दी गई है।
- हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी दर शून्य कर दी गई है।
- शिक्षा क्षेत्र में नक्शे, चार्ट और ग्लोब पर जीएसटी दर शून्य कर दी गई है।
- इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे एसी, टीवी और डिशवॉशर पर जीएसटी दर 28% से घटाकर 18% कर दी गई है।
क्यों नहीं मिल रहा सस्ता सामान?
नई जीएसटी दरों के बावजूद बाजार में सस्ता सामान नहीं मिलने के कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण यह है कि कुछ कंपनियों ने अपने उत्पादों की बेस प्राइस बढ़ा दी है। इससे जीएसटी कम होने के बावजूद एमआरपी कम नहीं हो रही है। इसके अलावा, कुछ डिस्ट्रीब्यूटर्स ने नई दरों को लागू नहीं किया है।
- कुछ बड़े ब्रांड्स ने अपने कुछ पैकेटों के मूल दाम बढ़ा दिए हैं।
- डिस्ट्रीब्यूटर्स का कहना है कि वे केवल वही दाम आगे बढ़ा सकते हैं जो कंपनियों के सिस्टम में दिखते हैं।
- छोटे पैकेट वाले उत्पादों में यह गड़बड़ी ज्यादा दिख रही है।
- केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने गड़बड़ी करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है।
- केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने CBIC को लगभग 2,000 शिकायतें भेजी हैं।
- सरकार ने 800 से ज्यादा ब्रांड्स को नोटिस भेजे हैं और उनसे 20 अक्टूबर तक गड़बड़ियां सुधारने को कहा है।
नई जीएसटी दरों का भविष्य
नई जीएसटी दरों के भविष्य के बारे में कहा जा रहा है कि यह भारत की कर यात्रा में एक नया अध्याय है। यह न केवल कर दरों को कम करने के लिए है, बल्कि विकास का एक अच्छा चक्र बनाने के लिए भी है। इससे उपभोक्ताओं को प्राथमिकता दी जाएगी और व्यापार करने में आसानी होगी।
- जीएसटी प्रणाली अब और अधिक सरल, निष्पक्ष और विकास-उन्मुख होगी।
- आम आदमी, परिवारों, किसानों और व्यवसायों के लिए समय पर राहत सुनिश्चित होगी।
- राज्य के राजस्व को सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी।
- पूरे भारत में उपभोग और विनिर्माण विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- छोटे व्यापारियों और एमएसएमई के लिए अनुपालन लागत कम होगी।
- भारत की दीर्घकालिक वृद्धि को सुदृढ़ किया जाएगा।