खाने के तेल के दाम में इस साल 2025 में एक बड़ी गिरावट आई है, जिससे आम जनता को आर्थिक रूप से बहुत बड़ी राहत मिली है। सरकार ने कच्चे खाद्य तेलों जैसे सोयाबीन तेल, सूरजमुखी तेल और पाम ऑयल पर आयात शुल्क (Import Duty) कम कर दिया है। इस फैसले का असर बाजार में तुरंत पड़ा और तेल की कीमतें प्रति लीटर 5 से 8 रुपये तक सस्ती हो गईं। इससे घरेलू उपभोक्ताओं के लिए खाना पकाने की जरूरी सामग्री सस्ती हो गई है।
खास बात यह है कि केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों पर लगने वाले जीएसटी (GST) को भी हटा दिया है। इसका मतलब अब उपभोक्ता केवल तेल की असली कीमत ही चुकाएंगे, टैक्स नहीं। इससे भी तेल के दाम काफी घटे हैं। सरसों के तेल में भी भारी कमी आई है, जो खासकर उत्तर भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। कुल मिलाकर, यह कदम महंगाई के इस दौर में गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को बड़ी राहत दे रहा है।
खाने के तेल के दाम घटने से घरों में खाना पकाने का खर्च कम होगा, जिससे परिवारों का बजट फिट होगा। सरकार ने कंपनियों को भी निर्देश दिया है कि वे तुरंत तेल के दाम कम करें ताकि यह लाभ आम जनता तक पहुंचे। आइए इस योजना और हाल की कीमतों का विस्तृत अवलोकन करते हैं।
खाने के तेल की कीमतों में गिरावट का असर – Cooking Oil Price Drop 2025
सरकार ने कच्चे खाद्य तेलों पर आयात शुल्क को 20% से घटाकर 10% कर दिया है। इस फैसले के कारण कच्चे और रिफाइंड दोनों प्रकार के तेलों की कीमतों में गिरावट दिखी है।
- सोयाबीन तेल, सूरजमुखी तेल और पाम तेल पर सीमा शुल्क घटने से ये तेल सस्ते हुए हैं।
- तेल के दामों में 5% से 8% तक की कमी आई है।
- सरसों तेल की कीमतों में 70-80 रुपये प्रति लीटर तक की गिरावट हुई है।
- बड़े पैक खरीदने पर उपभोक्ताओं को और भी ज्यादा छूट मिल रही है।
सरकार की यह योजना सीधे तौर पर घरेलू उपभोक्ताओं की जेब पर सकारात्मक प्रभाव डाल रही है, खासकर उन परिवारों पर जो तेल की रोजमर्रा की जरूरतों को लेकर चिंतित थे।
खाद्य तेल की नई कीमतों का सारांश तालिका के जरिए समझें:
खाद्य तेल का प्रकार | पहले का औसत दाम (₹ प्रति लीटर) | नए दाम (₹ प्रति लीटर) | गिरावट (₹ में) | मुख्य कारण |
सोयाबीन तेल | 160 | 152 | 8 | आयात सीमा शुल्क में कटौती |
सूरजमुखी तेल | 170 | 163 | 7 | सरकार के GST हटाने के फैसले |
पाम तेल | 140 | 135 | 5 | कच्चे तेल पर कस्टम ड्यूटी में कमी |
रिफाइंड तेल | 180 | 160 | 20 | जीएसटी और आयात शुल्क हटने का प्रभाव |
सरसों तेल | 200 | 130 | 70 | घरेलू उत्पादन के साथ बाजार में दबाव |
मूंगफली तेल | 190 | 180 | 10 | सरकार के समर्थन निर्णय एवं टैक्स रियायत |
तेल के बड़े पैक (5 लीटर+) | 850 | 750 | 100 | थोक में छूट और टैक्स में कमी |
खाद्य तेल सस्ते होने के पीछे सरकार की क्या भूमिका है
सरकार ने महंगाई को कम करने के लिए कच्चे खाद्य तेलों पर आयात ड्यूटी कम की, जिससे तेल के कच्चे माल की लागत घट गई।
उच्च आयात शुल्क खत्म होने से, तेल कंपनियां कच्चा माल सस्ते दामों पर खरीद पाई, जिसका सीधा लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचा।
सरकार ने जीएसटी भी पूरी तरह हटा दिया, जिससे तेल की अंतिम कीमत में भारी कटौती हुई।
इसके साथ ही, तेल के बड़े पैक खरीदने पर और भी ज्यादा छूट दी गई ताकि परिवारों को बचत हो।
सरकार की ये नीतियां घरेलू खाद्य तेल बाजार को स्थिर करने और उपभोक्ताओं को राहत देने के उद्देश्य से हैं।
खाद्य तेल की कीमत गिरने से क्या मिलेगा आम जनता को?
- परिवारों के खाने-पीने का खर्च कम होगा।
- विशेषकर कम आय वाले और ग्रामीण परिवारों को ज्यादा फायदा होगा।
- रोजमर्रा की जरूरतों की पूर्ति आसान होगी।
- घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि कच्चा माल सस्ता हुआ है।
- बाजार में तेल की उपलब्धता बढ़ेगी।
गौरतलब है कि तेल के दाम घटने का असर आने वाले महीनों में भी टिकाऊ रहने की संभावना है।
सरकार उपभोक्ताओं को आश्वासन दे रही है कि वे पूरी तरह से तेल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं ताकि महंगाई का बोझ कम हो सके।
खाद्य तेल कीमतों में गिरावट के मुख्य कारण:
- कच्चे खाद्य तेल पर घटाया गया आयात शुल्क।
- जीएसटी पूरी तरह हटाना।
- घरेलू उत्पादन और आपूर्ति में सुधार।
- तेल कंपनियों को लाभ देते हुए एमआरपी में कटौती।
- बाजार में बेहतर प्रतिस्पर्धा और खपत में वृद्धि।
खाने के तेल के दाम में आई गिरावट से आम जनता को होने वाली राहत का संक्षिप्त सार:
- तेल के दाम में प्रति लीटर 5 से 8 रुपये की कटौती।
- सरसों तेल में ₹70 से ₹80 की बड़ी कमी।
- जीएसटी हटने से अतिरिक्त ₹40 से ₹60 प्रति लीटर की बचत।
- घरेलू परिवारों का खर्च कम होना।
- बाजार में तेल की अच्छी उपलब्धता।
खाने के तेल के दामों में गिरावट सरकारी कदमों के कारण हुई है, जो आम जनता के लिए बड़ी राहत साबित हो रही है।