दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन परियोजना भारत के उच्च गति रेल नेटवर्क के विस्तार की सबसे महत्वाकांखित योजनाओं में से एक है। इस परियोजना के तहत 865 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर पर 13 स्टेशन बनाए जाएंगे, जो दिल्ली को उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों जैसे नोएडा, आगरा, लखनऊ और वाराणसी से जोड़ेगा। यह ट्रेन 350 किमी/घंटा की अधिकतम गति से चलेगी और दिल्ली से वाराणसी की यात्रा को महज 3 घंटे 33 मिनट में पूरा कर देगी।
इस परियोजना को नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) लागू कर रहा है। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) का कार्य शुरू हो चुका है और लिडार तकनीक के जरिए सर्वे का काम जारी है। यह परियोजना न केवल यात्रा के समय को कम करेगी, बल्कि आर्थिक विकास, पर्यटन और रोजगार के अवसरों को भी बढ़ाएगी। इसके अलावा, लखनऊ और अयोध्या के लिए एक स्पर लाइन भी प्रस्तावित है।
बुलेट ट्रेन परियोजना: मुख्य तथ्य
दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन परियोजना भारत के रेल नेटवर्क को आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह परियोजना उत्तर भारत के सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्रों को जोड़ेगी। इसके तहत ट्रेन 350 किमी/घंटा की रफ्तार से चलेगी और यात्रा का समय वर्तमान 8-10 घंटे से घटकर 3 घंटे 33 मिनट रह जाएगा। यह परियोजना न केवल यात्रियों के लिए सुविधाजनक होगी, बल्किन लॉजिस्टिक्स और पर्यटन क्षेत्र को भी बड़ा बूस्ट देगी।
इस परियोजना के लिए NHSRCL ने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सर्वे का काम लिडार तकनीक के जरिए किया जा रहा है, जो भूगर्भीय और भौगोलिक जानकारी को सटीकता से एकत्र करती है। इसके अलावा, लखनऊ और अयोध्या के लिए एक स्पर लाइन भी शामिल की जा रही है, जो इन शहरों को राष्ट्रीय राजधानी से सीधे जोड़ेगी।
परियोजना का ओवरव्यू
विवरण | जानकारी |
परियोजना का नाम | दिल्ली-वाराणसी हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर |
कुल लंबाई | 865 किमी |
स्टेशनों की संख्या | 13 |
अधिकतम गति | 350 किमी/घंटा |
अनुमानित यात्रा समय | 3 घंटे 33 मिनट |
प्रमुख शहर | दिल्ली, नोएडा, आगरा, लखनऊ, वाराणसी |
लागत | लगभग 1.21 लाख करोड़ रुपये |
निर्माण एजेंसी | NHSRCL |
बुलेट ट्रेन के स्टेशन
दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन मार्ग पर कुल 13 स्टेशन बनाए जाएंगे। इनमें से एक स्टेशन दिल्ली में भूमिगत होगा, जबकि बाकी 12 स्टेशन उत्तर प्रदेश में एलिवेटेड होंगे। ये स्टेशन आधुनिक डिजाइन और स्थानीय संस्कृति के अनुरूप बनाए जाएंगे। स्टेशनों के नाम इस प्रकार हैं:
- दिल्ली (सराय काले खां)
- नोएडा
- जेवर हवाई अड्डा
- मथुरा
- आगरा
- इटावा
- कन्नौज
- कानपुर
- लखनऊ
- रायबरेली
- प्रयागराज
- भदोही
- वाराणसी
यात्रा सुविधा और आवृत्ति
इस बुलेट ट्रेन के चलने से यात्रियों को बहुत सुविधा मिलेगी। वाराणसी से दिल्ली के लिए हर 47 मिनट पर एक ट्रेन चलेगी। दिनभर में कुल 18 ट्रेनें इस मार्ग पर चलेंगी। लखनऊ के अवध क्रॉसिंग स्टेशन पर हर 22 मिनट पर एक ट्रेन पहुंचेगी। यह स्टेशन चारबाग रेलवे स्टेशन से 5 किमी और लखनऊ एयरपोर्ट से 4.5 किमी की दूरी पर होगा।
इस परियोजना से न केवल यात्रा का समय कम होगा, बल्कि ट्रैफिक और प्रदूषण पर भी दबाव कम होगा। यह ट्रेन एलिवेटेड, भूमिगत और जमीन के स्तर पर चलेगी। दिल्ली में 15 किमी लंबी सुरंग भी बनाई जाएगी। यह परियोजना यूपी के 60 से अधिक गांवों से होकर गुजरेगी।
निर्माण प्रगति और चुनौतियां
वर्तमान में, दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है। लिडार तकनीक के जरिए सर्वे का काम जारी है। इसके अलावा, जमीन अधिग्रहण की तैयारी भी शुरू हो गई है। रेल मंत्रालय के अनुसार, इस परियोजना को लेकर कोई अंतिम निर्णय अभी नहीं लिया गया है।
इस परियोजना के सामने कई चुनौतियां हैं, जैसे भूमि अधिग्रहण, लागत और पर्यावरणीय मुद्दे। इसके अलावा, यह परियोजना मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के बाद दूसरी प्राथमिकता पर है। इसलिए, इसके निर्माण में समय लग सकता है। फिलहाल, इस परियोजना की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
भविष्य की योजनाएं
भारत सरकार ने छह नए बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के लिए डीपीआर तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की है। इनमें दिल्ली-वाराणसी, वाराणसी-हावड़ा, दिल्ली-जयपुर-उदयपुर-अहमदाबाद शामिल हैं। इन परियोजनाओं से देश के विभिन्न हिस्सों को जोड़ने का लक्ष्य है। इससे आर्थिक विकास और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की है कि मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन का पहला खंड अगस्त 2027 तक चालू हो सकता है। इसके बाद अन्य परियोजनाओं पर काम तेजी से शुरू होगा। दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन परियोजना भी इसी कड़ी में आती है।
निष्कर्ष
दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन परियोजना भारत के उच्च गति रेल नेटवर्क के विस्तार की एक महत्वाकांखित योजना है। इसके तहत 13 स्टेशन बनाए जाएंगे और यात्रा का समय 3 घंटे 33 मिनट रह जाएगा। हालांकि, अभी तक इस परियोजना की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। रेल मंत्रालय के अनुसार, इसकी डीपीआर अभी विचाराधीन है।