Karwa Chauth Shubh Muhurt 2025: शुभ मुहूर्त बस इतनी ही देर, चंद्र दर्शन का ये है सही समय

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Karwa Chauth Shubh Muhurt

करवा चौथ 2025 का यह विशेष पर्व 10 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह दिन सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास है। इस दिन वे अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। व्रत की शुरुआत सुबह सरगी खाकर होती है और समापन रात को चंद्र दर्शन के बाद होता है।

इस साल करवा चौथ पर कई शुभ योग बन रहे हैं। सिद्धि योग और शिववास योग का संयोग 200 साल बाद एक साथ बन रहा है। इससे पूजा का फल दोगुना मिलने की मान्यता है। चंद्रमा वृषभ राशि में रहेंगे, जो विशेष शुभ माना जा रहा है।

करवा चौथ शुभ मुहूर्त

करवा चौथ पर पूजा का मुहूर्त बहुत ही सीमित है। इस बार यह मात्र 1 घंटे 14 मिनट का है। इस दौरान महिलाएं विधिवत पूजा करती हैं। पूजा के बाद चंद्र दर्शन किया जाता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है।

पूजा के समय भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की आराधना की जाती है। इसके साथ ही माता करवा की भी पूजा की जाती है। इस दिन करवा चौथ की कथा भी सुनी जाती है। यह कथा व्रत के महत्व को बताती है।

करवा चौथ 2025 शुभ मुहूर्त

घटनासमय
चतुर्थी तिथि आरंभ09 अक्टूबर, 22:54
चतुर्थी तिथि समापन10 अक्टूबर, 19:38
पूजा मुहूर्त शुरू17:55
पूजा मुहूर्त समाप्त19:09
व्रत समय शुरू06:17
व्रत समय समाप्त20:10
चंद्रोदय समय20:13
सिद्धि योग समाप्त17:41

चंद्र दर्शन का सही समय

चंद्र दर्शन करवा चौथ का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस साल चंद्रोदय का समय रात 8 बजकर 13 मिनट है। कुछ स्रोतों में यह समय 8:14 भी बताया गया है। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोला जाता है।

महिलाएं छन्नी के माध्यम से चंद्रमा को देखती हैं। इसके बाद वे अपने पति का चेहरा देखती हैं। फिर पति के हाथ से जल ग्रहण करके व्रत का पारण करती हैं। यह परंपरा पति-पत्नी के बीच प्रेम और आस्था को दर्शाती है।

पूजा विधि और आवश्यक वस्तुएं

करवा चौथ की पूजा विधि बहुत ही विशेष है। सुबह सरगी खाने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। शाम को पूजा के लिए थाली में करवा, चावल, फूल, फल, मिठाई और दीपक रखा जाता है।

पूजा के दौरान भगवान शिव को चंदन, फूल और भोग अर्पित किया जाता है। माता पार्वती को सिंदूर, रोली और चुनरी चढ़ाई जाती है। गणेश जी की विधिवत पूजा की जाती है। अंत में करवा चौथ की कथा सुनी जाती है।

शुभ योग और उनका महत्व

इस साल करवा चौथ पर सिद्धि योग बन रहा है। यह योग सुबह से लेकर शाम 5 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। सिद्धि योग में की गई पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। इससे व्रत का पूर्ण फल मिलता है।

इसके साथ ही शिववास योग भी बन रहा है। यह योग पूजा के फल को दोगुना कर देता है। चंद्रमा वृषभ राशि में रहेंगे, जो शुक्र की राशि है। इससे प्रेम और सुख की प्राप्ति की मान्यता है।

व्रत की अवधि और तिथि

करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर को रखा जाएगा। चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात 10:54 बजे शुरू हो रही है। यह 10 अक्टूबर को शाम 7:38 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के आधार पर व्रत 10 तारीख को मनाया जाएगा।

व्रत की कुल अवधि लगभग 14 घंटे की होगी। यह सुबह 6:17 बजे शुरू होगा और रात 8:13 बजे चंद्र दर्शन के बाद समाप्त होगा। इस दौरान महिलाएं निर्जला रहती हैं। यह व्रत पति के लिए उनके प्रेम और समर्पण को दर्शाता है।

राहुकाल और अन्य मुहूर्त

करवा चौथ के दिन राहुकाल दोपहर 10:30 बजे से 12:00 बजे तक रहेगा। इस समय कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। पूजा इस समय के बाद की जानी चाहिए।

शुभ चौघड़िया में सुबह 7:46 से 9:13 तक लाभ, 9:13 से 10:41 तक अमृत और दोपहर 12:08 से 1:35 तक शुभ मुहूर्त है। इन समयों में शुभ कार्य करना लाभदायक माना जाता है। इन मुहूर्तों का उपयोग पूजा सामग्री तैयार करने में किया जा सकता है।

आधुनिक युग में करवा चौथ

आज के समय में करवा चौथ का महत्व बरकरार है। महिलाएं इस व्रत को बड़े उत्साह से मनाती हैं। इस दिन वे नए कपड़े पहनती हैं और मेहंदी लगाती हैं। परिवार और दोस्तों के साथ पूजा की जाती है।

सोशल मीडिया पर भी करवा चौथ की तैयारियां देखी जा सकती हैं। महिलाएं अपनी तस्वीरें शेयर करती हैं। इससे इस पर्व की लोकप्रियता और बढ़ गई है। यह परंपरा आधुनिक युग में भी जीवित रहे, इसके लिए सभी को प्रयास करना चाहिए।

व्रत का सामाजिक महत्व

करवा चौथ सिर्फ एक धार्मिक व्रत नहीं है। यह सामाजिक एकता का प्रतीक भी है। महिलाएं इस दिन एक साथ आती हैं। वे एक दूसरे के साथ पूजा करती हैं और तैयारियों में मदद करती हैं।

इस दिन महिलाओं के बीच बहुत अच्छा संबंध बनता है। वे एक दूसरे के साथ बातचीत करती हैं और समस्याओं का समाधान ढूंढती हैं। यह पर्व महिलाओं के बीच सहयोग और समर्थन को बढ़ावा देता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

कुछ लोग करवा चौथ के व्रत को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी देखते हैं। निर्जला व्रत शरीर को डिटॉक्स करने में मदद कर सकता है। यह मानसिक शक्ति और अनुशासन बढ़ाता है।

चंद्रमा के प्रभाव को भी वैज्ञानिक रूप से मान्यता दी गई है। चंद्रमा मन को प्रभावित करता है। चंद्र दर्शन से मन शांत होता है। इससे तनाव कम होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है।

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