भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहाँ पशुपालन किसान की आय का मुख्य आधार माना जाता है। खेती के साथ-साथ दुग्ध उत्पादन, बकरी पालन, मुर्गी पालन और अन्य पशुपालन गतिविधियाँ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करती हैं। सरकार समय-समय पर किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रकार की योजनाएँ लाती रहती है।
इन्हीं योजनाओं में से एक है पशुपालन लोन योजना, जिसके अंतर्गत किसानों और पशुपालकों को आसानी से ऋण उपलब्ध कराया जाता है ताकि वे अपने काम का विस्तार कर सकें। यह योजना किसानों को आर्थिक सहायता देने के साथ-साथ रोजगार की नई संभावनाओं को भी जन्म देती है।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य है ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले छोटे और सीमांत किसानों को कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराना ताकि वे इससे पशुओं की खरीद, चारे की व्यवस्था, शेड का निर्माण और डेयरी व्यवसाय शुरू करने जैसी सुविधाएँ प्राप्त कर सकें। इससे किसान परिवारों की आमदनी बढ़ती है और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।
Pashupalan Loan Yojana
पशुपालन लोन योजना एक सरकारी प्रोत्साहित योजना है जिसके अंतर्गत बैंक और वित्तीय संस्थान किसानों एवं ग्रामीण नागरिकों को पशुपालन कार्यों के लिए ऋण प्रदान करते हैं।
इसमें लाभार्थी को गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी, बतख आदि व्यवसाय शुरू करने के लिए पूँजी मिलती है। इसके अलावा डेयरी यूनिट, मुर्गी फार्म या मत्स्य पालन जैसी गतिविधियों के लिए भी यह ऋण दिया जाता है। यह योजना प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP), डेयरी उद्यमिता विकास योजना (DEDS) और नाबार्ड के सहयोग से चलाई जाती है।
सरकार की ओर से मिलने वाले लाभ
इस योजना में किसानों को कई प्रकार की सुविधाएँ मिलती हैं। सरकार इस योजना में सब्सिडी भी प्रदान करती है। उदाहरण के तौर पर, डेयरी व्यवसाय में बैंक द्वारा दिए गए ऋण पर 25% तक की सब्सिडी सरकार देती है, जबकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों को 33% तक की सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है।
इसके अतिरिक्त किसान को बैंक से ऋण लेने में ज्यादा प्रक्रिया या गारंटी की आवश्यकता नहीं होती। पशुपालन लोन आमतौर पर आसान शर्तों पर दिया जाता है ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण परिवार इसका लाभ उठा सकें।
इस योजना से क्या-क्या किया जा सकता है
पशुपालन लोन का उपयोग कई प्रकार के कामों में किया जा सकता है। किसान इस ऋण का प्रयोग उच्च नस्ल की गाय अथवा भैंस खरीदने, बकरी पालन यूनिट स्थापित करने, मुर्गी फार्म खोलने, जानवरों के चारे तथा दवाइयों के इंतजार की व्यवस्था करने, पशुओं के लिए शेड बनाने और छोटे स्तर पर डेयरी उद्योग शुरू करने के लिए कर सकते हैं।
कई बार किसान इस ऋण से दूध प्रसंस्करण इकाई या ठंडा रखने की प्रणाली भी स्थापित कर लेते हैं। इससे उनका उत्पाद लंबे समय तक सुरक्षित रहता है और अच्छी कीमत मिलती है।
लोन प्राप्त करने की पात्रता
इस योजना का लाभ वे लोग ले सकते हैं जो भारत के नागरिक हैं और जिनकी आयु 18 वर्ष से अधिक है। लाभार्थी चाहे किसान हो, बेरोजगार युवा हो अथवा महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्य हो, सभी आवेदन कर सकते हैं।
इसके लिए जरूरत है कि आवेदक पशुपालन का कार्य करने की इच्छा रखता हो और उसके पास जमीन अथवा आवश्यक संसाधन मौजूद हों। कुछ योजनाओं में न्यूनतम शैक्षिक योग्यता भी जरूरी होती है, पर सामान्य रूप से यह सभी के लिए खुला है।
आवेदन प्रक्रिया कैसे करें
पशुपालन लोन योजना के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया सरल है। इच्छुक व्यक्ति को अपने नज़दीकी बैंक या वित्तीय संस्था में जाकर आवेदन करना होता है।
फॉर्म भरते समय आवेदक को अपनी पहचान प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, निवास प्रमाण, पासपोर्ट आकार की फोटो, बैंक पासबुक की प्रति और यदि भूमि है तो उसका प्रमाण पत्र जमा करना होता है। इसके अलावा व्यवसाय योजना यानी कि वह पशुपालन का कौन सा कार्य करना चाहता है उसकी जानकारी भी देनी होती है।
आवेदन स्वीकृति के बाद बैंक अधिकारी स्थल निरीक्षण करते हैं और संतुष्टि के बाद ऋण राशि सीधे लाभार्थी के खाते में भेजी जाती है। इसके पश्चात लाभार्थी इस राशि का उपयोग अपने पशुपालन कार्य की शुरुआत में कर सकता है।
निष्कर्ष
पशुपालन लोन योजना गांव-देहात के किसानों और बेरोजगार युवाओं के लिए एक बड़ी अवसर योजना है। इससे न केवल उनकी आमदनी बढ़ती है बल्कि रोजगार के नए रास्ते भी खुलते हैं। सरकार और बैंक के सहयोग से यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने में अहम भूमिका निभा रही है।