Sahara Refund: बिकने वाली 88 संपत्तियाँ, दिलचस्प अपडेट जो आपको जाननी चाहिए

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Sahara India

देश में सहारा ग्रुप से जुड़ी जमाकर्ताओं की उम्मीदों को एक नया मोड़ मिलने जा रहा है। लंबे समय से चल रहे सहारा रिफंड विवाद में अब सरकार की ओर से बड़ा कदम उठाया गया है। जिन निवेशकों ने वर्षों पहले सहारा ग्रुप की विभिन्न योजनाओं में पैसा लगाया था, उनके पैसे लौटाने के लिए अब सहारा इंडिया की संपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।

सरकार ने साफ कर दिया है कि जिन संपत्तियों का सीधा संबंध निवेशकों के पैसे से है, उन्हें बेचा जाएगा ताकि लोगों की रकम वापस की जा सके। यह कदम सहारा-सेबी रिफंड खाते और केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित कमेटी की सिफारिशों के बाद उठाया गया है।

Sahara Refund

सहारा रिफंड स्कीम एक ऐसी योजना है जिसके तहत उन निवेशकों को पैसा लौटाया जा रहा है जिन्होंने सहारा इंडिया समूह की चार कंपनियों में निवेश किया था। इन कंपनियों द्वारा अलग-अलग कालखंड में जनता से पैसा जुटाया गया था, लेकिन बाद में कई योजनाएं गैरकानूनी घोषित कर दी गईं।

भारत सरकार ने 2023 में ‘CRCS-सहारा रिफंड पोर्टल’ की शुरुआत की थी। यह पोर्टल केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करता है और इसका उद्देश्य उन लाखों निवेशकों को राहत पहुंचाना है जो वर्षों से अपनी जमा पूंजी की वापसी का इंतजार कर रहे हैं। इस योजना के तहत निवेशक ऑनलाइन आवेदन करके अपने धन की वापसी पा सकते हैं, हालांकि इसके लिए आधार, डिपॉजिट रिसीट और अन्य प्रमाणित दस्तावेज जरूरी हैं।

अब बिकेंगी 88 सहारा संपत्तियां

ताजा जानकारी के अनुसार, सरकार ने सहारा समूह की कुल 88 संपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया को मंजूरी दे दी है। इन संपत्तियों को बेचकर जो धन प्राप्त होगा, उसे निवेशकों को लौटाने में उपयोग किया जाएगा। इन संपत्तियों में जमीन, भवन, औद्योगिक भूखंड, और व्यावसायिक परिसरों जैसी कई संपत्तियां शामिल हैं।

सेबी द्वारा नियुक्त ‘रील एस्टेट सेल कमेटी’ और सरकार के अधिकारी मिलकर यह प्रक्रिया सुनिश्चित करेंगे कि बिक्री पारदर्शी और कानूनी तरीके से हो। इन संपत्तियों की नीलामी विभिन्न राज्यों में की जाएगी और आय को सीधे सहारा-सेबी रिफंड खाते में जमा किया जाएगा।

किन राज्यों में हैं ये प्रॉपर्टीज

सहारा समूह की ये 88 संपत्तियां देश के अलग-अलग हिस्सों में फैली हुई हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, और पश्चिम बंगाल जैसे प्रमुख राज्य शामिल हैं। कई संपत्तियां बड़े शहरों में स्थित हैं, जबकि कुछ ग्रामीण इलाकों और टियर-2 व टियर-3 शहरों में भी हैं।

सरकार के अनुसार, इन संपत्तियों की अनुमानित बाजार कीमत हजारों करोड़ रुपये के बीच है। बिक्री के बाद इस पैसे से प्राथमिकता के आधार पर उन निवेशकों को रिफंड दिया जाएगा जिन्होंने पहले आवेदन किया है और जिनके दस्तावेज पूरी तरह से सही पाए गए हैं।

प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ेगी

संपत्तियों की बिक्री के लिए सरकार नीलामी की पारदर्शी प्रक्रिया अपनाएगी। इसके लिए विशेषज्ञ एजेंसियों और रजिस्ट्रारों की मदद ली जा रही है ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता न हो। नीलामी से प्राप्त धन को सीधे सहारा-सेबी खाते में भेजा जाएगा और वहीं से निवेशकों के बैंक खातों में रिफंड जारी किया जाएगा।

सरकार ने यह भी कहा है कि जो भी निवेशक पहले रिफंड पोर्टल पर आवेदन कर चुके हैं, उन्हें इस बिक्री प्रक्रिया से सीधे लाभ मिलेगा। अन्य निवेशकों को अपने दावे जल्द से जल्द जमा करने की सलाह दी गई है ताकि वे भी इस चरण में शामिल हो सकें।

सरकार का रुख और निवेशकों की उम्मीद

यह कदम केंद्र सरकार द्वारा सहारा निवेशकों के हित में उठाया गया एक बड़ा फैसला माना जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्वयं इस रिफंड पोर्टल की शुरुआत की थी और उन्होंने विश्वास दिलाया था कि निवेशकों के पैसे लौटाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।

अब जबकि 88 संपत्तियों की बिक्री की तैयारी पूरी हो चुकी है, निवेशकों की उम्मीदें फिर से बढ़ गई हैं। वर्षों से चली आ रही यह कानूनी और वित्तीय लड़ाई अब अपने अंत की ओर बढ़ती दिख रही है।

निष्कर्ष

सहारा रिफंड मामले में यह अपडेट निवेशकों के लिए बेहद राहत भरी खबर है। संपत्तियों की बिक्री से प्राप्त धन अब सीधे लोगों के खातों में लौटाया जा सकेगा, जिससे देशभर के लाखों परिवारों को आर्थिक राहत मिलेगी। उम्मीद है कि सरकार की यह पहल पारदर्शिता और न्याय के साथ पूरी होगी और वर्षों से रुकी निवेशकों की रकम आखिरकार उन्हें मिल जाएगी।

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